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Showing posts from October 11, 2020

एक मलिन एहसास. Ek malin ehsas ❤️

Aniket Yadav                तेरे आने की अब न आश बची ,  न हालातों का साथ रही, रूह चलने का कारण भी एक मलिन एहसास बची। खु शबू पाने की चाहत में मै सींचता रहा तेरे ख्वाबों को, उसमें भी दर्द देने को अब सिर्फ कांटे है बची । मैं सह भी लेता तेरे इस कांटे की चुभन को, पर तुम हो महक किसी और की बगिया का, बस अब यही दर्द है नासूर बन जाती । तेरे आने की अब ना कोई आश बची, अधमरे रहने का कारण भी  एक मलिन एहसास बची। मैंने काट लिए सारे गम ,तेरे हिस्से में केवल खुशी रही। अनजाने मुलाकातों में भी यूं जो तुम नजरे फेर लेती, मेरे होने से भी अगर तुझे ऐतराज है , तो इतला क्यों नहीं कर देती? तेरे आने की तो कोई आश न है बची, खुद के साथ ही मिटा देंगे जो भी है एक मलिन एहसास बची। ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️ ANIKET YADAV