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Showing posts from May 16, 2021

मन हो स्वतंत्र तुम्हारा,✍️. Man ho swantrata tumhara

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/   🌺🌺मन हो स्वतंत्र तुम्हारा🌺🌺 मन हो स्वतंत्र तुम्हारा, तुम आत्मबल को सबल करो। जीवन हो सार्थक तुम्हारा, अपना लक्ष्य निर्धारित करो, रीतियों का बंधन तोड़ो, शिक्षा की सीढ़ियों पर बढ़ते चलो, अपने क्षमता का प्रमाण दो। मन हो स्वतंत्र तुम्हारा, जिम्मेदारी लो, अधिकारी बनो। आत्मविश्वास सबल हो तुम्हारा, समाज के चस्मे को उतार दो, क्रांति करो ,  अपने पंखों को फैलाव दो। मन हो स्वतंत्र तुम्हारा    ।।                          Aniket Yadav

Man ki swantrata

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/         मन की स्वतंत्रता चिंतन के क्षितिज को विस्तार दो, विचारों के वैभव को फैलाव दो , तोड़ कर कुरितीयों का पिंजर, शिक्षा की रश्मियों को आकार दो, परिस्थितियों से जूझने की जीवट आशा, दर्द, वेदना व्यथित करती ये निराशा, उदात वृत्तियों को हृदय में जगाकर, अंतःकरण के पंछी को उड़ान दो, जीवन तेरा हर उद्देश्य सफल हो, हर आदर्श , दृष्टिकोण सफल हो, दैहिक सुख और परतंत्रता से, मस्तिक,मन अवसादों से मुक्त हो, समानता संकल्प न संकुचित हो, वस्तु नहीं दिखावे की है, नारी, बुद्धि क्षमता चातुर्य की है,अधिकारी, हर कारागृह से स्वतंत्र हो,स्वतंत्र हो।    ✍️✍️✍️  Aniket Yadav 🙏