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Showing posts from July 11, 2021

रहमतों की बारिश sahmaton ki baris❤️

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ रहमतों की बारिश  खुली आँखों में सपना  किसी की खोज में फिर खो गया कौन गली में रोते-रोते सो गया कौन बड़ी मुद्दत से तन्हा थे मिरे दुःख ख़ुदाया मेरे आँसू रो गया कौन जला आई थी मैं तो आस्तीं तक लहू से मेरा दामन धो गया कौन जिधर देखूँ खड़ी है फ़स्ल-ए-गिरिया [1] मिरे शहरों में आँसू बो गया कौन अभी तक भाईयों में दुश्मनी थी ये माँ के ख़ूँ [2]  का प्यासा हो गया कौन.    Aniket Yadav 🙏

अधिकार। Adhikar✍️

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/   अधिकार आज भारत के बुद्धिजीवी मांग रहा है अधिकार । अपने दायित्व को भुलाकर, संवैधानिक विचारों से उठकर, जाति - धर्मों के बनते है रक्षक, तो कभी बोतलें और नोटों के मोहताज, काले चस्में पहन कर आते है मतदान, बना देते हैं लोकतंत्र की सरकार। फिर उनसे ही मांग रहे है अधिकार। जो  सही - गलत के पहलू को नोटों से  घुमाते हैं, हाथों में गबन का मेहंदी सजाते हैं, मदारी बन उसी बुद्धिजीवी को नचाते है, फिर सफेद लिबास में बन जाते है, सच्चा सरकार, भारत के बुद्धिजीवी उन्ही से मांग रहा है अधिकार।।।।              Aniket Yadav

चांद का महत्व क्यों? Chand ka mahatva kyon h✍️

  चांद का महत्व चांदनी रात में 🌃 तारे टीम टिमा रहे थे तारो ने चतुराई से  पूछा पृथ्वी से संख्या हमरी ज्यादा  प्रकाश में भी हम अव्वल आकार भी हमारा  चांद से बहुत बड़ा फिर भी चांद का महत्व क्यों हमसे ज्यादा?🧐 पृथ्वी ने मुस्कुराते हुए कहा चांद के पास रोशनी नहीं फिर भी मुझे रोशन वो करता हर घड़ी मेरे संग वो रहता🤝 बड़े की परिभाषा आकार से नहीं  गुणों से होती👌 तारो को बुरा लगा  सुनकर यह उत्तर अब उन्होंने पृथ्वी को   कुछ यू फसाया😠 अमावसया के दिन वो  क्यों जाता है रुठ?🤨 पृथ्वी ने बहुत सुंदर उत्तर दिया यदि रिश्तों में अनबानी न हो तो उनकी कीमत कैसे समझोगे हर अमावस्या के बाद🌌  वो मुझे और रोशन कर देता हर अनबनी के बाद👨‍👨‍👧‍👦  रिश्ता और मज़बूत हो जाता यही रिश्तों की सच्चाई है यही रिश्तों की सुंदरता है💕          Guest     - ✍️ दीया कानूनगो💖                             Aniket Yadav             ...

अब हम अजनबियों से डरते हैं ✍️

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ अब हम अजनबियों से डरते है, मन के भवरें को मुट्ठी में बंद रखते है। रात वही, ख्वाब वही, कभी आंखे उनकी कल्पनाओं में खोए रहते थे, आज उन्ही के यादों में रोते हैं, सारी रात करवट बदल बदल कर बिताते हैं। अब हम अजनबियों से डरते है। वही जानी पहचानी राह,वही बाग, कभी घंटों हमारा इंतजार करते थे, जहां हम जिंदगी को थाम कर, प्यार के धुन गुनगुनाते थे, अब वही मानो ठोकर मार भगाते है। अब हम अजनबियों से डरते है, मन के भवरें को मुट्ठी में बंद रखते हैं। मन वही और उसका भवारां वही, कभी सारे बागों का सैर करता था, उस गुल के डाली पर कांटा चुभा जिस दिन से, अब अनजाने बागों में जाने से घबराते है,    🌺 अब हम अजनबियों से डरते है,         🏵️🥀 मन के भवरें को मुट्ठी में बंद रखते हैं। लेखक वही ,लेखनी वही, कभी प्रेम राग लिखते थे, आज जो विराग व्याथा लिखते हैं, अब हम अजनबियों से डरते हैं।।।                           Aniket yadav