https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ रहमतों की बारिश खुली आँखों में सपना किसी की खोज में फिर खो गया कौन गली में रोते-रोते सो गया कौन बड़ी मुद्दत से तन्हा थे मिरे दुःख ख़ुदाया मेरे आँसू रो गया कौन जला आई थी मैं तो आस्तीं तक लहू से मेरा दामन धो गया कौन जिधर देखूँ खड़ी है फ़स्ल-ए-गिरिया [1] मिरे शहरों में आँसू बो गया कौन अभी तक भाईयों में दुश्मनी थी ये माँ के ख़ूँ [2] का प्यासा हो गया कौन. Aniket Yadav 🙏