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कास मुझे टोक देता,

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺              मुझे टोक देता, कास कोई आज मुझे टोक देता, मेरे मन को रोक लेता। अज्ञानी से ज्ञान प्रसंग कर दिया, अशिक्षित को शिक्षा का पाठ पढ़ाने लगा, अंजाम तो सब जानते क्या होगा, कुछ तो बुरा होगा, कास कोई मुझे टोक देता। स्तिथि को संतुलन रखने में, गुस्ताखी कर बैठा । जो ज्ञानी था, उसके गलत में भी हामी कर दिया, अज्ञानी में भी थोड़ी कमी मिल गया, कोई माफ़ कर देता, अंजाम तो सब जानते है। तो कास कोई आज मुझे टोक देता, मेरे मन को रोक लेता।                Aniket Yadav🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️
https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 खुद को खुदा से अर्जमन्द मान ली, हमने इश्क की आरजू क्या कर दिए, यूं ही कुछ दिन उदास तो हुए, ओ मेरे गम का बादशाह बन गई।।                                          Aniket Yadav 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️

मन हो स्वतंत्र तुम्हारा,✍️. Man ho swantrata tumhara

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/   🌺🌺मन हो स्वतंत्र तुम्हारा🌺🌺 मन हो स्वतंत्र तुम्हारा, तुम आत्मबल को सबल करो। जीवन हो सार्थक तुम्हारा, अपना लक्ष्य निर्धारित करो, रीतियों का बंधन तोड़ो, शिक्षा की सीढ़ियों पर बढ़ते चलो, अपने क्षमता का प्रमाण दो। मन हो स्वतंत्र तुम्हारा, जिम्मेदारी लो, अधिकारी बनो। आत्मविश्वास सबल हो तुम्हारा, समाज के चस्मे को उतार दो, क्रांति करो ,  अपने पंखों को फैलाव दो। मन हो स्वतंत्र तुम्हारा    ।।                          Aniket Yadav

Man ki swantrata

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/         मन की स्वतंत्रता चिंतन के क्षितिज को विस्तार दो, विचारों के वैभव को फैलाव दो , तोड़ कर कुरितीयों का पिंजर, शिक्षा की रश्मियों को आकार दो, परिस्थितियों से जूझने की जीवट आशा, दर्द, वेदना व्यथित करती ये निराशा, उदात वृत्तियों को हृदय में जगाकर, अंतःकरण के पंछी को उड़ान दो, जीवन तेरा हर उद्देश्य सफल हो, हर आदर्श , दृष्टिकोण सफल हो, दैहिक सुख और परतंत्रता से, मस्तिक,मन अवसादों से मुक्त हो, समानता संकल्प न संकुचित हो, वस्तु नहीं दिखावे की है, नारी, बुद्धि क्षमता चातुर्य की है,अधिकारी, हर कारागृह से स्वतंत्र हो,स्वतंत्र हो।    ✍️✍️✍️  Aniket Yadav 🙏

❤️अख़बार नहीं सबका यार है❤️

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/             अख़बार नहीं सबका यार है यह केवल अखबार नहीं सबका यार है , सुबह का नमस्कार है। किसी के चाय के सुस्कियों के साथ हैं, तो कहीं स्टॉलों पर विचार की बात है। हर उम्र के लिए ज्ञान का भंडार हैं, देश ,विदेश, क्रिकेट हो या सिनेमा जगत सबका समाचार हैं। यह केवल अखबार नहीं सबका यार है , सबको याद है ,  वो देश के आज़ादी में भी साझेदार है। यह क्रांतियों का यलगार है, देशवासियों का हाहाकार है । यह अख़बार नहीं सबका यार है। सबके मन की बात है, सबका प्यार है, आजकल तन्हाई में भी देश दुनिया  घुमाने वाला यार है , यह अख़बार नहीं सबका यार है।           Aniket yadav    

अब हम अजनबियों से डरते है ❤️

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 अब हम अजनबियों से डरते है, मन के भवरें को मुट्ठी में बंद रखते है। रात वही, ख्वाब वही, कभी आंखे उनकी कल्पनाओं में खोए रहते थे, आज उन्ही के यादों में रोते हैं, सारी रात करवट बदल बदल कर बिताते हैं। अब हम अजनबियों से डरते है। वही जानी पहचानी राह,वही बाग, कभी घंटों हमारा इंतजार करते थे, जहां हम जिंदगी को थाम कर, प्यार के धुन गुनगुनाते थे, अब वही मानो ठोकर मार भगाते है। अब हम अजनबियों से डरते है, मन के भवरें को मुट्ठी में बंद रखते हैं। मन वही और उसका भवारां वही, कभी सारे बागों का सैर करता था, उस गुल के डाली पर कांटा चुभा जिस दिन से, अब अनजाने बागों में जाने से घबराते है, अब हम अजनबियों से डरते है, मन के भवरें को मुट्ठी में बंद रखते हैं। लेखक वही , लेखनी वही, कभी प्रेम राग लिखते थे, आज जो विराग व्याथा लिखते हैं, अब हम अजनबियों से डरते हैं।।। ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️                      Aniket yadav

🌺✍️ चाहत ❤️chahat

✍️✍️✍️ हम हर किसी पर फिदा नहीं होते, तु जैसी भी हो,  जन्नत की परी भी,  हर किसी को नहीं लगती , तेरे कहने से हम , मोहब्बत तो नहीं भी कर सकते , पर हम अपनी चाहत को कम भी नहीं कर सकते , फिर हमारी चाहत का हिसाब मत रखना, ये ब्याज चुकाना भी तेरी बस का नहीं होगा ।।।।।। 🌺🌺🌺🌺🌺 Aniket Yadav

इश्क और जाम✍️✍️♥️ishk aur jam✍️

  🌺🌺🌺🌺 इश्क और जाम 🌺🌺🌺🌺🌺   इश्क पाने के चाह में जाम लिया, इश्क आने की खुशी में जाम लिया, फिर इश्क और जाम साथ साथ लिया, पर इश्क साथ छोड़ दिया। इस जाम की मदहोशी , इन आंखों पर अब भी छाई रही, इन्हें एक ओर इश्क आता धुंधला नजर आयी। दुबारा इश्क आने की खुशी में , और जाम पर जाम लिया । ये इश्क तो नहीं आई , पर जान लेकर चली गई। और तो पता भी नहीं चला , जान किसने ली इश्क ने ली या ............ने ली ✍️ ✍️  ✍️ ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️                         Aniket Yadav

एक मलिन एहसास. Ek malin ehsas ❤️

Aniket Yadav                तेरे आने की अब न आश बची ,  न हालातों का साथ रही, रूह चलने का कारण भी एक मलिन एहसास बची। खु शबू पाने की चाहत में मै सींचता रहा तेरे ख्वाबों को, उसमें भी दर्द देने को अब सिर्फ कांटे है बची । मैं सह भी लेता तेरे इस कांटे की चुभन को, पर तुम हो महक किसी और की बगिया का, बस अब यही दर्द है नासूर बन जाती । तेरे आने की अब ना कोई आश बची, अधमरे रहने का कारण भी  एक मलिन एहसास बची। मैंने काट लिए सारे गम ,तेरे हिस्से में केवल खुशी रही। अनजाने मुलाकातों में भी यूं जो तुम नजरे फेर लेती, मेरे होने से भी अगर तुझे ऐतराज है , तो इतला क्यों नहीं कर देती? तेरे आने की तो कोई आश न है बची, खुद के साथ ही मिटा देंगे जो भी है एक मलिन एहसास बची। ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️ ANIKET YADAV