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कैसा जुड़ाव है मेरा,
वह ज्योति है मेरे
हृदय के ज्वलित दीप का।
वह हंसे तो लगता प्रस्ताव मंजूर है,
जब व्यंग करे तो लगे ,
मैं लायक नहीं हूं उनका।
कैसा जुड़ाव है मेरा,
गुस्सा करे तो लगे,
कोई तेज हवा का झोंका चला,
ये दीपक कैसे जल पाएगा,
यही सोचकर हृदय सहम जाता।
ये कैसा जुड़ाव है मेरा।।।
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Aniket Yadav
Guest:। Raushan mandal 🙏
