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प्रेम क्या है।।।।
और मानव भी ।
क्या प्रेम आत्मा का भाव है ?
नहीं वह तो अमर है, आत्मा का मेल है।
प्रेम धुरी है,मानव रूपी रथ का,
चालक राह भटकता है,
दिशाहीन विचरता है,
प्रेम भक्ति का अंश है,
ईश्वर के दृष्टि में सर्वोपरि है,
सच्चा प्रेम समाज के बंधन से मुक्त है,
प्रेम तो पवित्र है, धर्मों के निर्वाहक है।
संसार में केवल प्रेम सत्य है।।।।
Aniket Yadav

