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दोस्तों,
आज आज बहुत खुशी के साथ आदरणीय अच्युत कुलकर्णी जी की लिखी कविता प्रकाशित कर रहे हैं।
मेरा जनम तो वृंदावन में ही होना था,
राधा जी के सखि बनके ही रहना था,
राधाकृष्ण के मिलन हर दिन देखता,
अपने जन्मों का जीवन पावन करता ।
बस यहां के मिट्टी या धूल तो हो जाता,
राधाकृष्ण के चरण मुझे छूकर तो जाता,
उनके प्यार के आहत को तो जी लेता,
हर दिन का जीवन खुशबू से भर देता।
उस वृंदावन के पेड़ पौंधे तो बनके रहता,
सुंदर फूल मेरे कृष्ण के हात जो लगता,
वही फूल जब राधा जी के सिर चढ़ जाता,
जीवन मेरे सच में कितना पावन होजता।
यमुना नदी के बहता पानी तो बन जाता,
कृष्ण के सारे खेलकूद हर दिन देख पाता,
यमुना पानी से जब उनको ठंडक मिलता,
अपना जीवन तो सच में सफल बन जाता।
कृष्ण के बांसुरी भी बन जाता तो क्या होता,
अपने धुन से राधा जी के प्यार और बढ़ता,
प्रेम में जब राधाकृष्ण दोनों डूबे हुए दिखते,
देखते हुए अपना जीवन धन्य कर तो लेते।
Respected
ACHYUT KULKARANI