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राधाकृष्ण जी की पावन
प्रेम पर आदरणीय श्रीअच्युत कुलकर्णी जी की लिखी सुंदर रचना ।
वृंदावन की धरती पावन प्रेम में मस्त है
राधा जी के प्यार में पुलकित वृंदावन है
मासूम भरी राधा जी की मुख मंडल पर
कृष्ण नचाते रहे हमेशा प्यार की धुन पर
राधाजी ने जिया है तो सिर्फ कृष्ण के लिए
उसने अगर नाचा है तो सिर्फ भगवान के लिए
हर सांस उनकी चली कृष्ण को पुकारते
हर पल राधाजी जिए मुरली के धुन सुनते
एक पल राह देखना तो एक पल तो रोना भी
कृष्ण के विरह में दिन भर खोना भी
राधाजी ने तो जन्म सार्थक कर लिए
प्रभू के ध्यान में जीवन समर्पित कर दिए
कल की राह देखते हर पल जीते रहे
आज नहीं तो कल कृष्ण के आने की सोचते रहे
कृष्ण ने तड़पाए कितने बार राधाजी को
हर बार राधाजी सफल किए कृष्ण की परीक्षा को
चेहरा जब खिलता था कृष्ण को देखकर
राधाजी मुस्कुराते थे अपने प्यार को पाकर
दिल की खुशी मुख पर जरूर दिखाता था
कृष्ण का मुस्कान भी राधा की चेहरे में था।।
| ✍️ACHYUT KULKARANI |