https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ मन की स्वतंत्रता चिंतन के क्षितिज को विस्तार दो, विचारों के वैभव को फैलाव दो , तोड़ कर कुरितीयों का पिंजर, शिक्षा की रश्मियों को आकार दो, परिस्थितियों से जूझने की जीवट आशा, दर्द, वेदना व्यथित करती ये निराशा, उदात वृत्तियों को हृदय में जगाकर, अंतःकरण के पंछी को उड़ान दो, जीवन तेरा हर उद्देश्य सफल हो, हर आदर्श , दृष्टिकोण सफल हो, दैहिक सुख और परतंत्रता से, मस्तिक,मन अवसादों से मुक्त हो, समानता संकल्प न संकुचित हो, वस्तु नहीं दिखावे की है, नारी, बुद्धि क्षमता चातुर्य की है,अधिकारी, हर कारागृह से स्वतंत्र हो,स्वतंत्र हो। ✍️✍️✍️ Aniket Yadav 🙏