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https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ खुद को खुदा से अर्जमन्द मान ली। हमने इश्क की आरजू क्या कर दिए, यूं ही कुछ दिन उदास तो हुए, ओ मेरे गम का बादशाह बन गई।।                             Aniket Yadav

भोपाल त्रासदी✍️ Bhopal trasadi ✍️

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ वही अमन की रात काली रात में बदली हवा में उड़ा जहर अंधाधुंध भागते पैर कटे वृक्ष की तरह गिरते लोग भीषण ठंड में सांसों में अंदर घुलता जहर।   हर कोई नीलकंठ तो नहीं हो सकता जो निगल ले उस हलाहल को रोते-बिलखते बच्चे श्मशान बनती भोपाल की सड़कें बिखरे शव। और लहराता एंडरसन किसी प्रेत की तरह अट्ठहास लगाता उड़ गया हमारे खुद के अपने पिशाचों की मदद से पीछे छोड़ गया कई हजार लाशें।   आर्तनाद, चीखें अंधे, बहरे चमड़ी उधड़े चेहरे लाखों मासूमों को जो आज भी  भुगत रहे हैं उन क्षणों को जब एक जहर उतरा था भोपाल की सड़कों पर।                 Aniket Yadav 🙏

कैसा जुड़ाव है मेरा ❤️ kaisa judaw h mera

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ कैसा जुड़ाव है मेरा, वह ज्योति है मेरे  हृदय के ज्वलित दीप का। वह हंसे तो लगता प्रस्ताव मंजूर है, जब व्यंग करे तो लगे , मैं लायक नहीं हूं उनका। कैसा जुड़ाव है मेरा, गुस्सा करे तो लगे, कोई तेज हवा का झोंका  चला, ये दीपक कैसे जल पाएगा, यही सोचकर हृदय सहम जाता। ये कैसा जुड़ाव है मेरा।।। ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️                         Aniket Yadav  Guest:।      Raushan mandal 🙏

प्रभु (एक कहानी) ✍️brabhu ek story ✍️

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ *शुभ प्रभात*  *एक सब्ज़ी वाला था। सब्ज़ी की पूरी दुकान ठेले पर लगा कर घूमता रहता था। "प्रभु" शब्द उसका तकिया कलाम था।*  *कोई पूछता आलू कैसे दिये, 10 रुपये प्रभु, हरा धनीया है क्या? बिलकुल ताज़ा है प्रभु ।*  *वह सबको प्रभु ही बुलाता था। लोग भी उसको प्रभु कहकर पुकारने लगे।*  *एक दिन उससे किसी ने पूछा.. तुम सबको प्रभु-प्रभु क्यों कहते हो, यहाँ तक तुम्हे भी लोग इसी उपाधि से बुलाते हैं, तुम्हारा कोई असली नाम है भी या नहीं?* *सब्जी वाले ने कहा... है न प्रभु! मेरा नाम कन्हैयालाल है। प्रभु, मैं शुरू से अनपढ़ गँवार हूँ।मैं बहुत गरीब था और गांव में मज़दूरी करता था । एक बार मेरे गांव में एक बहुत प्रसिद्ध सन्त के प्रवचन हुए। प्रवचन बिलकुल मेरे समझ में नहीं आता था लेकिन एक लाइन मेरे दिमाग़ में आकर फँस गई। उन संत ने कहा था कि हर इंसान में प्रभु का वास है। तलाशने की कोशिश तो करो , पता नहीं किस इंसान के रूप में औऱ कहाँ प्रभु मिल जाए और तुम्हारा उद्धार कर जाए।*  *बस उस दिन से मैने हर मिलने वाले को प्रभु की नज़र से देखना और पुकारना शुरू कर दि...

मधुशाला✍️✍️ madhushala

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ हरिवंश राय बच्‍चन,,, मधुशाला....     मदिरालय जाने को घर से  चलता है पीनेवाला,  'किस पथ से जाऊं?'  असमंजस में है वह भोलाभाला;  अलग-अलग पथ बतलाते सब  पर मैं यह बतलाता हूं- राह पकड़ तू एक चला चल,  पा जाएगा मधुशाला'।   पौधे आज बने हैं साकी  ले-ले फूलों का प्याला,  भरी हुई है जिनके अंदर  परिमल-मधु-सुरभित हाला,  मांग-मांगकर भ्रमरों के दल  रस की मदिरा पीते हैं,  झूम-झपक मद-झंपित होते,  उपवन क्या है मधुशाला!   एक तरह से सबका स्वागत  करती है साकीबाला,  अज्ञ-विज्ञ में है क्या अंतर  हो जाने पर मतवाला,  रंक-राव में भेद हुआ है  कभी नहीं मदिरालय में,  साम्यवाद की प्रथम प्रचारक  है यह मेरी मधुशाला।   छोटे-से जीवन में कितना  प्यार करूं, पी लूं हाला,  आने के ही साथ जगत में  कहलाया 'जानेवाला',  स्वागत के ही साथ विदा की  होती देखी तैयारी,  बंद लगी होने खुलते ही  मेरी जीवन-मधुशाला! 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

जो तुम आ जाते एक बार /

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ जो तुम आ जाते एक बार /  महादेवी वर्मा »  जो तुम आ जाते एक बार कितनी करूणा कितने संदेश पथ में बिछ जाते बन पराग गाता प्राणों का तार तार अनुराग भरा उन्माद राग आँसू लेते वे पथ पखार जो तुम आ जाते एक बार हँस उठते पल में आर्द्र नयन धुल जाता होठों से विषाद छा जाता जीवन में बसंत लुट जाता चिर संचित विराग आँखें देतीं सर्वस्व वार जो तुम आ जाते एक बार 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

मधुर-मधुर मेरे दीपक जल✍️

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ मधुर-मधुर मेरे दीपक जल !  /  महादेवी वर्मा  मधुर-मधुर मेरे दीपक जल! युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल प्रियतम का पथ आलोकित कर! सौरभ फैला विपुल धूप बन मृदुल मोम-सा घुल रे, मृदु-तन! दे प्रकाश का सिन्धु अपरिमित, तेरे जीवन का अणु गल-गल पुलक-पुलक मेरे दीपक जल! तारे शीतल कोमल नूतन माँग रहे तुझसे ज्वाला कण; विश्व-शलभ सिर धुन कहता मैं हाय, न जल पाया तुझमें मिल! सिहर-सिहर मेरे दीपक जल! जलते नभ में देख असंख्यक स्नेह-हीन नित कितने दीपक जलमय सागर का उर जलता; विद्युत ले घिरता है बादल! विहँस-विहँस मेरे दीपक जल! द्रुम के अंग हरित कोमलतम ज्वाला को करते हृदयंगम वसुधा के जड़ अन्तर में भी बन्दी है तापों की हलचल; बिखर-बिखर मेरे दीपक जल! मेरे निस्वासों से द्रुततर, सुभग न तू बुझने का भय कर। मैं अंचल की ओट किये हूँ! अपनी मृदु पलकों से चंचल सहज-सहज मेरे दीपक जल! सीमा ही लघुता का बन्धन है अनादि तू मत घड़ियाँ गिन मैं दृग के अक्षय कोषों से- तुझमें भरती हूँ आँसू-जल! सहज-सहज मेरे दीपक जल! तुम असीम तेरा प्रकाश चिर खेलेंगे नव खेल निरन्तर, तम के अणु-अणु में विद्यु...

कास मुझे टोक देता,

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺              मुझे टोक देता, कास कोई आज मुझे टोक देता, मेरे मन को रोक लेता। अज्ञानी से ज्ञान प्रसंग कर दिया, अशिक्षित को शिक्षा का पाठ पढ़ाने लगा, अंजाम तो सब जानते क्या होगा, कुछ तो बुरा होगा, कास कोई मुझे टोक देता। स्तिथि को संतुलन रखने में, गुस्ताखी कर बैठा । जो ज्ञानी था, उसके गलत में भी हामी कर दिया, अज्ञानी में भी थोड़ी कमी मिल गया, कोई माफ़ कर देता, अंजाम तो सब जानते है। तो कास कोई आज मुझे टोक देता, मेरे मन को रोक लेता।                Aniket Yadav🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️
https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 खुद को खुदा से अर्जमन्द मान ली, हमने इश्क की आरजू क्या कर दिए, यूं ही कुछ दिन उदास तो हुए, ओ मेरे गम का बादशाह बन गई।।                                          Aniket Yadav 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️

मन हो स्वतंत्र तुम्हारा,✍️. Man ho swantrata tumhara

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/   🌺🌺मन हो स्वतंत्र तुम्हारा🌺🌺 मन हो स्वतंत्र तुम्हारा, तुम आत्मबल को सबल करो। जीवन हो सार्थक तुम्हारा, अपना लक्ष्य निर्धारित करो, रीतियों का बंधन तोड़ो, शिक्षा की सीढ़ियों पर बढ़ते चलो, अपने क्षमता का प्रमाण दो। मन हो स्वतंत्र तुम्हारा, जिम्मेदारी लो, अधिकारी बनो। आत्मविश्वास सबल हो तुम्हारा, समाज के चस्मे को उतार दो, क्रांति करो ,  अपने पंखों को फैलाव दो। मन हो स्वतंत्र तुम्हारा    ।।                          Aniket Yadav

Man ki swantrata

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/         मन की स्वतंत्रता चिंतन के क्षितिज को विस्तार दो, विचारों के वैभव को फैलाव दो , तोड़ कर कुरितीयों का पिंजर, शिक्षा की रश्मियों को आकार दो, परिस्थितियों से जूझने की जीवट आशा, दर्द, वेदना व्यथित करती ये निराशा, उदात वृत्तियों को हृदय में जगाकर, अंतःकरण के पंछी को उड़ान दो, जीवन तेरा हर उद्देश्य सफल हो, हर आदर्श , दृष्टिकोण सफल हो, दैहिक सुख और परतंत्रता से, मस्तिक,मन अवसादों से मुक्त हो, समानता संकल्प न संकुचित हो, वस्तु नहीं दिखावे की है, नारी, बुद्धि क्षमता चातुर्य की है,अधिकारी, हर कारागृह से स्वतंत्र हो,स्वतंत्र हो।    ✍️✍️✍️  Aniket Yadav 🙏

❤️अख़बार नहीं सबका यार है❤️

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/             अख़बार नहीं सबका यार है यह केवल अखबार नहीं सबका यार है , सुबह का नमस्कार है। किसी के चाय के सुस्कियों के साथ हैं, तो कहीं स्टॉलों पर विचार की बात है। हर उम्र के लिए ज्ञान का भंडार हैं, देश ,विदेश, क्रिकेट हो या सिनेमा जगत सबका समाचार हैं। यह केवल अखबार नहीं सबका यार है , सबको याद है ,  वो देश के आज़ादी में भी साझेदार है। यह क्रांतियों का यलगार है, देशवासियों का हाहाकार है । यह अख़बार नहीं सबका यार है। सबके मन की बात है, सबका प्यार है, आजकल तन्हाई में भी देश दुनिया  घुमाने वाला यार है , यह अख़बार नहीं सबका यार है।           Aniket yadav    

अब हम अजनबियों से डरते है ❤️

https://aniketkumarpoems.blogspot.com/ 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 अब हम अजनबियों से डरते है, मन के भवरें को मुट्ठी में बंद रखते है। रात वही, ख्वाब वही, कभी आंखे उनकी कल्पनाओं में खोए रहते थे, आज उन्ही के यादों में रोते हैं, सारी रात करवट बदल बदल कर बिताते हैं। अब हम अजनबियों से डरते है। वही जानी पहचानी राह,वही बाग, कभी घंटों हमारा इंतजार करते थे, जहां हम जिंदगी को थाम कर, प्यार के धुन गुनगुनाते थे, अब वही मानो ठोकर मार भगाते है। अब हम अजनबियों से डरते है, मन के भवरें को मुट्ठी में बंद रखते हैं। मन वही और उसका भवारां वही, कभी सारे बागों का सैर करता था, उस गुल के डाली पर कांटा चुभा जिस दिन से, अब अनजाने बागों में जाने से घबराते है, अब हम अजनबियों से डरते है, मन के भवरें को मुट्ठी में बंद रखते हैं। लेखक वही , लेखनी वही, कभी प्रेम राग लिखते थे, आज जो विराग व्याथा लिखते हैं, अब हम अजनबियों से डरते हैं।।। ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️                      Aniket yadav

🌺✍️ चाहत ❤️chahat

✍️✍️✍️ हम हर किसी पर फिदा नहीं होते, तु जैसी भी हो,  जन्नत की परी भी,  हर किसी को नहीं लगती , तेरे कहने से हम , मोहब्बत तो नहीं भी कर सकते , पर हम अपनी चाहत को कम भी नहीं कर सकते , फिर हमारी चाहत का हिसाब मत रखना, ये ब्याज चुकाना भी तेरी बस का नहीं होगा ।।।।।। 🌺🌺🌺🌺🌺 Aniket Yadav

इश्क और जाम✍️✍️♥️ishk aur jam✍️

  🌺🌺🌺🌺 इश्क और जाम 🌺🌺🌺🌺🌺   इश्क पाने के चाह में जाम लिया, इश्क आने की खुशी में जाम लिया, फिर इश्क और जाम साथ साथ लिया, पर इश्क साथ छोड़ दिया। इस जाम की मदहोशी , इन आंखों पर अब भी छाई रही, इन्हें एक ओर इश्क आता धुंधला नजर आयी। दुबारा इश्क आने की खुशी में , और जाम पर जाम लिया । ये इश्क तो नहीं आई , पर जान लेकर चली गई। और तो पता भी नहीं चला , जान किसने ली इश्क ने ली या ............ने ली ✍️ ✍️  ✍️ ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️                         Aniket Yadav

एक मलिन एहसास. Ek malin ehsas ❤️

Aniket Yadav                तेरे आने की अब न आश बची ,  न हालातों का साथ रही, रूह चलने का कारण भी एक मलिन एहसास बची। खु शबू पाने की चाहत में मै सींचता रहा तेरे ख्वाबों को, उसमें भी दर्द देने को अब सिर्फ कांटे है बची । मैं सह भी लेता तेरे इस कांटे की चुभन को, पर तुम हो महक किसी और की बगिया का, बस अब यही दर्द है नासूर बन जाती । तेरे आने की अब ना कोई आश बची, अधमरे रहने का कारण भी  एक मलिन एहसास बची। मैंने काट लिए सारे गम ,तेरे हिस्से में केवल खुशी रही। अनजाने मुलाकातों में भी यूं जो तुम नजरे फेर लेती, मेरे होने से भी अगर तुझे ऐतराज है , तो इतला क्यों नहीं कर देती? तेरे आने की तो कोई आश न है बची, खुद के साथ ही मिटा देंगे जो भी है एक मलिन एहसास बची। ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️ ANIKET YADAV